ग्राम पंचायत विकास अधिकारी भर्ती 2016 में हुई धांधली में शनिवार को एक और गिरफ्तारी हुई है।
बता दें कि वर्ष 2016 में हुई इस भर्ती में धांधली की पोल कुछ दिनों बाद ही खुल गई थी। जिसके बाद विभागीय जांच हुई और फिर वर्ष 2019 में मामला विजिलेंस के पास चला गया।मामले में विजिलेंस ने जनवरी 2020 में मुकदमा दर्ज किया, लेकिन अब तक किसी को नामजद नहीं किया गया था।
बीते दिनों मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर इस मुकदमे की जांच को भी एसटीएफ के हवाले कर दिया गया। मामले में STF ने शुक्रवार को धूमाकोट के एक सरकारी शिक्षक को गिरफ्तार किया था। इस शिक्षक ने ऊधमसिंह नगर के कई अभ्यर्थियों को पास कराने के लिए पैसे लिए थे।
ओएमआर शीट में अपने मन से गोलों को किया गया था काला
एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि एसटीएफ ने मुकेश चौहान निवासी सदन कविनगर, काशीपुर, जिला ऊधमसिंह नगर को गिरफ्तार किया है। चौहान पर आरोप है कि उसने इसी गांव के कई लोगों को पास कराया।
इसके लिए ओएमआर शीट में अपने मन से गोलों को काला किया गया था। इसकी पुष्टि फोरेंसिक जांच में भी हो चुकी है। मुकेश चौहान मूल रूप से मुरादाबाद के ठाकुरद्वारा स्थित सुल्तानपुर गांव का रहने वाला है। आरएमएस कंपनी का मालिक राजेश चौहान भी इसी क्षेत्र का निवासी है। दोनों पुराने दोस्त बताए जा रहे हैं।
स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा में पेपर लीक के केंद्र में आई आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन इस परीक्षा की जांच में भी फंस सकती है। बताया जा रहा है कि इस परीक्षा को भी इसी कंपनी ने आयोजित कराया था। प्रश्नपत्र भी इसी की प्रिंटिंग प्रेस में छापे गए थे। यही नहीं, इसके कुछ कर्मचारियों के माध्यम से ही ओएमआर शीट में छेड़छाड़ का खेल खेला गया था।
पहली बार में जब गड़बड़ी का खुलासा हुआ तो इस परीक्षा को दोबारा कराया गया। इस बार रिजल्ट आया तो पता चला कि जो युवा पहली बार हुई परीक्षा में अव्वल थे, वे दोबारा हुई परीक्षा में फिसड्डी निकले। और यह सभी ऊधमसिंह नगर जिले के एक ही गांव के रहने वाले थे। ऐसे में माना जा रहा है कि इस परीक्षा में खेल करने वाले भी कुमाऊं के इसी क्षेत्र के निवासी हैं।