गंगोलीहाट/पिथौरागढ़। हमारी दुनिया बहुत बड़ी है, जहां तरह-तरह के अजीबो-गरीब रहस्य भरे पड़े हैं। कुछ को तो सुलझा लिया गया, लेकिन सैकड़ों रहस्य आज भी अनसुलझे हैं, जिन्हें सुलझाने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं निकल पाया।
वही इसी तरह से शैल पर्वत क्षेत्र की गुफाओं वाली घाटी गंगोलीहाट में प्रसिद्ध सिद्धपीठ हाटकालिका मंदिर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित आठ तल वाली विशाल गुफा मिली है और इस गुफा के अंदर चट्टानों में विभिन्न पौराणिक चित्र बने हुए है। इतना ही नही बल्कि शिवलिंग पर चट्टान की तरफ से पानी भी गिर रहा है। इस गुफा को चार स्थानीय युवाओं ने खोजा है और इस गुफा को महाकालेश्वर नाम दिया है। स्थानीय लोग इसको आस्था का केंद्र मान रहें हैं। यह माना जा रहा है कि यह प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा से भी बड़ी हो सकती है।
रविवार को गंगोलीहाट के गंगावली वंडर्स ग्रुप के सुरेंद्र सिंंह बिष्ट, ऋषभ रावल, भूपेश पंत और पप्पू रावल गुफा में गए और गुफा के आकार को देखते हुए आश्चर्यचकित हो गए। चारों युवा गुफा में दो सौ मीटर अंदर तक पहुंचे। सुरेंद्र ने बताया कि गुफा में प्रवेश करते ही पहले करीब 35 फीट गहराई में उतरे। प्राकृतिक रूप से बनी करीब आठ फीट की सीढिय़ां मिली। आगे बढऩे पर इसी तरह आठ तल तक सीढ़ी और समतल भाग से होकर आगे बढ़े। इसमें नौवां तल भी था लेकिन वहां पहुंच नहीं सके। गुफा करीब 200 मीटर लंबी है और इस गुफा के अंदर पैराणिक आकृतियां बनी हुई है। शिवलिंग की आकृति पर चट्टान से पानी टपक रहा है। वहीं शेषनाग व अन्य पैराणिक देवी देवताओं के चित्र भी बने हुए है।उन्होंने बताया कि गुफा के अंदर अंधेरा होने के चलते वह कम रोशनी वाले टार्च लेकर गए थे।बताया कि गुफा के अंदर ऑक्सीजन की कोई कमी नही है यह गुफा अब तक कि सबसे लंबी गुफा है। सुरेंद्र ने इसकी सूचना कुमाँऊ विश्वविद्यालय के पूर्व भूगर्भवेत्ता डॉ. वीएस कोटलिया को दी जिस पर उन्होंने गुफा का निरीक्षण करने की बात की है। गंगावली वंडर्स ग्रुप को आधुनिक उपकरण मिले तो वह क्षेत्र की तीन अन्य गुफाओं की जानकारी भी सामने लाएंगे।