नैनीताल : नैनीताल में जमकर बरसे बदरा , बर्फ सी सफेद चादर से ढकी सरोवर नगरी

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नैनीताल. सरोवर नगरी नैनीताल में देर से ही सही आखिरकार बदरा बरस ही गए. इससे नैनीताल की लाइफलाइन नैनीझील का जलस्तर बढ़ने के साथ ही आस पास मौजूद प्राकृतिक जलस्रोतों को भी रिचार्ज होने में मदद मिलेगी.
गौरतलब हो कि इस वर्ष नैनीताल में बर्फबारी और बारिश न होने से नैनीझील का जलस्तर काफी गिर गया था. जिसने नगरवासियों को चिंता में डाल दिया था.
लेकिन होली के बाद अचानक से मौसम ने करवट ली और नैनीताल में बीते कुछ दिनों से हल्की हल्की बारिश हुई लेकिन आज शुक्रवार कि दोपहर ओलावृष्टि के साथ झमाझम बारिश शुरू हो गई. जिस कारण ऊंचाई वाले इलाकों में एक से दो इंच मोटी ओलों की परत जम गई. इसके साथ साथ ही शहर के सभी नाले उफान पर आ गए. वहीं कई स्थानों पर जलभराव की स्थिती भी बनी रही.
गौरतलब हो कि इस वर्ष बारिश और बर्फबारी न होने से नैनीताल में जनवरी व फरवरी माह के सर्दी के मौसम में गर्मी का एहसास होने लगा था. इसके साथ ही जंगलों में आग लगने का सिलसिला भी शुरू हो गया था. जिसको लेकर पर्यावरणविद चिंता जता रहें थे कि ये जलवायु परिवर्तन घातक सिद्ध हो सकता हैं. लेकिन अचानक बदले मौसम ने इस चिंता को कुछ हद तक कम किया हैं. जिससे शहर के तापमान में गिरावट देखने को मिल रही हैं. मौसम में आया ये अचानक बदलाव नैनीझील के लिए वरदान साबित हो सकती हैं.
नैनीताल के साथ ही आस पास स्थित भवाली, भीमताल, धारी, खनस्यूं , मुक्तेश्वर व रामगढ़ में भी जमकर बारिश हुई.

काश्तकारों को ओलों ने पहुंचाया नुकसान
इस वर्ष बारिश व बर्फबारी न होने से धारी, खनस्यूं , मुक्तेश्वर व रामगढ़ में काश्तकारों की खेती पर इसका असर पड़ा था. काश्तकार खेतों की सिंचाई के लिए बारिश की राह तक रहें थे, लेकिन बारिश के साथ हुई ओलावृष्टि ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया. ओलावृष्टि से आडू, पुलम , सेब, माल्टे, खुमानी के पेड़ों में आए फूलों को भारी नुकसान पहुंचा जिस कारण फसलों और बागवानी पर इसका असर देखने को मिला हैं.