हाईकोर्ट ने सरकार को दिया बड़ा झटका, कहा-विकास और पैसे के नुकसान की भरपाई हो सकती है, लेकिन पर्यावरण क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती

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नैनीताल। शिवालिक कॉरिडोर को डी-नोटिफाइड करने और दिल्ली-देहरादून एनएच के चौड़ीकरण से संबंधित मामलों में जल्द सुनवाई की मांग पर सरकार को हाईकोर्ट से झटका लगा है। इस मामले में दायर दो अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने कहा कि पर्यावरण से जुड़े मामलों को विस्तार से सुनना आवश्यक है। क्योंकि पर्यावरण क्षति की भरपाई नहीं की जा सकती, जबकि विकास व पैसे के नुकसान की भरपाई अन्य माध्यमों से भी की जा सकती। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 23 फरवरी की तिथि नियत की है। बीते रोज हाईकोर्ट में सरकार की तरफ से कहा गया कि दिल्ली-देहरादून एनएच का कार्य पूर्ण होने को है। सिर्फ राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में 3 किलोमीटर का भाग बचा है। इसलिए जनहित याचिका को शीघ्र निस्तारित किया जाये। क्योंकि प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करने वाले हैं और इसके पूर्ण होने से दिल्ली देहरादून का सफर दो घंटे के भीतर किया जा सकता है। इसके लंबित होने से सरकार की कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। हाईकोर्ट में दायर याचिकाओं में कहा गया है कि एनएच चौड़ीकरण के लिए राजाजी नेशनल पार्क के क्षेत्र में तीन किलोमीटर के भीतर करीब 8000 पेड़ कट रहे हैं। जिनमें 1622 पेड़ साल के डेढ़ सौ साल पुराने हैं। जिससे पर्यावरण को ज्यादा नुकसान हो रहा है। इसलिए हाईवे को दूसरी जगह से बनाया जाये। इन मामलों में अमित खोलिया व रेनू पोल ने जनहित याचिकाएं दायर की हैं। इनमें कहा है कि 24 नवंबर 2020 को वन्यजीव बोर्ड की बैठक में देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट का विस्तार करने लिए शिवालिक एलीफेंट रिजर्व फॉरेस्ट को डी-नोटिफाइड करने का निर्णय लिया गया। जिसमें कहा है कि ऐसा नहीं होने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं। इस नोटिफिकेशन को कोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिकाओं में कहा है कि शिवालिक एलीफेंट रिजर्व फॉरेस्ट 5405 वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह वन्यजीव बोर्ड द्वारा नोटिफाइड किया गया क्षेत्र है। उसके बाद बोर्ड इसे डी-नोटिफाइड करने की अनुमति कैसे दे सकता है। वहीं दूसरी जनहित याचिका में कहा गया है कि दिल्ली से देहरादून गणेशपुर के लिए नेशनल हाईवे का चौड़ीकरण करने से राजाजी नेशनल पार्क के इको सेंसटिव जोन का 9 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हो रहा है। जबकि इस क्षेत्र के 100 से 150 साल पुराने साल के पेड़ों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया गया है।

News Desk