नैनीताल के पदमपुरी क्षेत्र में पहाड़ की एक चोटी पर स्थित है पाषाण देवी का एक प्राचीन मंदिर. यह मंदिर एक गुफा के अंदर स्थित है. लगभग 1800 से 2000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर की काफी मान्यताएं हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है.
नैनीताल मुख्यालय से लगभग 30 किमी की दूरी पर पदमपुरी नामक जगह से करीब 4 से 5 किमी चढ़ाई चढ़ने के बाद इस मंदिर तक पहुंचा जा सकता है. वैसे तो मंदिर की पहाड़ी तक पहुंचना आसान है हालांकि गुफा तक पहुंचने का रास्ता मुश्किल है. जिस वजह से स्थानीय ग्रामीणों ने पास ही में एक और मंदिर का निर्माण किया है. यह बैरा देवी का मंदिर है. जो भी भक्त पाषाण देवी मंदिर तक पहुंचने में असमर्थ हैं वह इस मंदिर में अपनी मानोकामनाएं लेकर दर्शन करने आते हैं.
स्थानीय निवासी नीरज गुणवंत ने बताया कि यह मंदिर काफी साल पुराना है. वर्षों पहले जब एक महिला अपने बच्चे को लेकर पहाड़ से भाभर की ओर जा रही थी तब अचानक उसका बच्चा उस मंदिर के स्थान से खाई में जा गिरा. रात में मैय्या जब उस महिला के सपने में आई तो उन्होंने बताया कि उसका बच्चा नीचे चाफी के गांव में सुरक्षित है और अगले दिन उस महिला को उसका बच्चा मिल गया. तब से ही इस मंदिर की महत्वता और भी ज्यादा बढ़ गई. यहां दर्शन करने के बाद जब भी किसी दम्पति की संतान होती है तो वह यहां दोबारा आकर चंवर चढ़ाते हैं. चंवर एक टोकरी की तरह होता हैं जिसमें गांवों में बच्चे को रखा जाता है.
इस मंदिर में रामायण, भागवत का पाथ आयोजित किया जाता है. नवरात्रों में यहां पूजा अर्चना और भंडरा आयोजित होता है.