यूनिफार्म सिविल कोड क्या है , किस राज्य में हुआ था सबसे पहले लागू, जानिए लिंक पर

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देहरादून । सीएम पुष्कर सिंह धामी की आज पहली कैबिनेट बैठक आयोजित की गई। जिसमें सीएम धामी ने कहा कि वह राज्य में यूनिफ़ार्म सिविल कोड लेकर आएंगे। कहा कि हर घर में कोई न कोई सेना में है और हमारा राज्य में दो दो अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से भी लगा है, और उत्तराखंड में ऐसा कानून हो जो सभी के लिए सामान हो। समाज विधि विशेषज्ञ को मिलाकर हम एक समिति बनाएंगे। यह कमेटी ड्राफ्ट तैयार करेगी और इस यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड को लागू करेंगे। अनुच्छेद 44 के तहत राज्य को इसकी पावर है। मंत्रिमंडल ने तय किया है कि जल्द ही इसे लागू करेंगे। गोवा के बाद उत्तराखंड देश का पहला राज्य होगा जो यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड लाएगा।

क्या है यूनिफार्म सिविल कोड : यूनिफार्म सिविल कोड पूरे प्रदेश में समान नागरिक संहिता होता है इसके लागू होने से सभी धर्म के लोगों का एक ही कानून होगा। मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड प्रभावी नहीं रहेगा। सामान नागरिक संहिता में शादी, तलाक और जमीन जायदाद के बंटवारे में सभी धर्मों के लिए एक कानून लागू होगा। यूनिफॉर्म सिविल कोड का अर्थ है प्रत्येक नागरिक को एक समान कानून का अधिकार। यह एक प्रकार का पंथ निरपेक्ष कानून है। यह कानून सभी धर्मों और जातियों के लोगों पर एक समान रूप से लागू होगा।

सिर्फ गोवा में लागू है समान नागरिक संहिता देश में अभी गोवा एकमात्र राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। गोवा में 1961 से ही ‘पुर्तगाल सिविल कोड 1867’ लागू है। अब उत्तराखंड के नवनियुक्त मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इसे लागू करने की बात कही है।

संविधान के अनुच्छेद 44 के तहत समान नागरिक संहिता को लागू करना राज्यों की जिम्मेदारी है, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर यूनिफॉर्म सिविल कोड अबतक लागू क्यों नहीं हो सका है? सुप्रीम कोर्ट ने भी देश में समान नागरिक संहिता लागू न किए जाने पर सवाल उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने ये तक कहा कि संविधान के अनुच्छेद 44 की अपेक्षाओं के मुताबिक सरकार ने समान नागरिक संहिता बनाने की कोई ठोस कोशिश नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने समान नागरिक संहिता बनाने के संबंध में अप्रैल 1985 में पहली बार सुझाव दिया था।

Gunjan Mehra