चीड़ प्रजाति वृक्ष उत्तराखंड में पर्यावरण व जल संकट के लिए घातक— डॉ. हरीश सिंह बिष्ट 

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चीड़ प्रजाति वृक्ष उत्तराखंड में पर्यावरण व जल संकट के लिए घातक। — डॉo हरीश सिंह बिष्ट

 

उत्तराखंड के भविष्य को पर्यावरण हानि वनग्नि जल संकट से बचाना अत्यंत आवश्यक

 

भीमताल ब्लॉक प्रमुख डाo हरीश सिंह बिष्ट ने उत्तराखंड सरकार मुख्यमंत्री व पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखकर उत्तराखंड में पेयजल संकट,वन्नग्नि घटना व जल संरक्षण के लिए चीड़ वृक्ष को हटाकर वर्षा ऋतु में हरियाली दिवस पर चौड़ी पत्ती के वृक्षों को लगवाने की माग की है। बताया है कि उत्तराखंड के पर्वतीय भू भाग के संरक्षण की अत्यंत आवश्यकता है पर्वतीय भू भाग में आग व पेयजल संकट को इस वर्ष सभी ने देखा हैं जिसका दुष्परिणाम विगत ग्रीष्म ऋतु में सभी को झेलना पड़ा तथा भविष्य में यदि नहीं चेते शासन प्रशासन द्वारा नई पहल नहीं की गई तो भविष्य में इससे भी ज्यादा दुष्परिणाम देखने को मिलेंगे ब्लॉक प्रमुख डाo बिष्ट ने कहा पेयजल संकट व वनाग्नि का मुख्य कारण चीड़ प्रजाति वृक्ष ही है जो आग को अचानक पकड़ता ही है तथा उसमें गिरने वाले कोन पहाड़ी के टॉप से तलहटी तक जलते हुवे और अधिक आग फैलाने का कार्य करता है- पेयजल श्रोतों को भी सुखाता है अपने आश पाश अन्य चौड़ी प्रजाति वृक्ष को पनपने नहीं देता चीड़ से ग्रामीणों की कृषि योग्य भूमि में कृषि उत्पादन भी नही हो पाता। भविष्य में पेयजल संकट वनों को खतरा मडराने की आशंका वयक्त की हे चीड़ वृक्ष को हटाने की पंचायत स्तर से चौड़ी पत्ती वृक्षों को लगाने की पहल की माग की हे चीड़ वृक्ष को वनों से हटाने की माग की हे इसके स्थान पर चौड़ी पत्ती के वृक्षों को लगाने की माग की हे। ताकि उत्तराखंड के भविष्य को बचाया जा सके। पर्यावरण संरक्षण किया जा सके। भविष्य में सदाबहार वन व फलदार आम, जामुन, जैसे पेड़ भी विकसित हो सके। ताकि पहाड़ों में जंगली जानवरों द्वारा किसानों की फसलों को होने वाले नुक्सान से भी बचा जा सके।

Gunjan Mehra