मौलिक चिंतन और नवाचार युक्त, समाज हितकारी तथा समस्या उन्मूलक शोध का विकास होना चाहिए- कुलपति प्रो.दीवान सिंह रावत

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नैनीताल। डीएसबी परिसर में कला विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टता को प्रोत्साहित करने के लिए कुमाऊँ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो० दीवान सिंह रावत ने शोध छात्रों के साथ संवाद करते हुए उन्हें उच्च गुणवत्ता वाले शोध के लिए प्रेरित किया।

इस संवाद के दौरान, कुलपति प्रो० रावत ने उदाहरणों के रूप में शोध क्षेत्र में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि शोध और विकास के क्षेत्र में उत्कृष्टता की अर्जित करने की आवश्यकता है। हमें नए और नवाचारी विचारों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि हम समस्याओं का समाधान कर सकें। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में शोध की व्यवस्था इसलिए की गई कि उसके माध्यम से नए विचारों, नए अनुसंधानों को सामने लाया जा सके, जिससे समाज को दिशा और औद्योगिक क्रांति को बल मिले। उन्होंने कहा कि मौलिक चिंतन और नवाचार युक्त, समाज हितकारी तथा समस्या उन्मूलक शोध का विकास होना चाहिए।

कुलपति प्रो० रावत ने कहा कि किसी शोध समस्या की पहचान करना शोध प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण पहला कदम है। सबसे पहले, आपको वह क्षेत्र चुनना होगा जिसमें आपका रुझान है या जिसमें आपको रुचि है एवं पहले से किए गए शोध दस्तावेज़ों का अध्ययन करें और उनमें उठाई गई  समस्याओं का मूल्यांकन करें। उन्होंने यह भी कहा कि सत्यता, मौलिकता और नैतिकता अनुसंधान के मूलभूत सिद्धांत हैं जो वैज्ञानिक प्रक्रिया की अखंडता और विश्वसनीयता को बनाए रखते हैं।

कुलपति प्रो० रावत ने छात्रों से अपने शोध के लक्ष्य को स्पष्ट करने का संदेश दिया और उन्हें उनके अध्ययन के दौरान आने वाली चुनौतियों का सामना करने हेतु  तैयार रहने की सलाह दी। उन्होंने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने एवं शोध पत्र लिखने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि विभिन्न संगोष्ठी में भाग लेने से हमारी जिज्ञासा शांत होती है तथा हमें नए-नए विषयों की जानकारी प्राप्त होती है। इसके अलावा, कुलपति प्रो० रावत ने शोध के लिए उपलब्ध संसाधनों और सुझावों पर भी चर्चा की, जिससे छात्रों को उचित मार्गदर्शन और सहायता मिल सके।

Gunjan Mehra