नीम करौली बाबा ने ब्रह्मलीन होने से पहले किसको सौंप दी थी अपनी शक्तियां ,जो कैंची धाम में मंगलवार और शनिवार को देती थीं दर्शन, बाबा ने उनके लिए लिखा ‘मां तू जहां रहेगी, वही मंगल हो जाएगा’

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नीमकरौलीबाबा (Neem Karoli Baba) के चमत्कार और किस्से तो आपने खूब सुने होंगे लेकिन क्या आप जानते हैं कि महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी शक्तियां किसके पास थीं. नीमकरौली बाबा के ब्रह्मलीन होने के बाद उनकी शिष्या सिद्धि मां (Siddhi Maa) महाराज की उत्तराधिकारी बनीं. जिसके बाद उन्होंने कैंची धाम मंदिर परिसर (Kainchi Dham Nainital) की पूरी व्यवस्था खुद संभाली. उन्हें भक्त प्रेम से सिद्धि माई भी कहते थे. सिद्धि मां को भक्तों ने वहीं सम्मान दिया, जो वह नीम करौली महाराज के प्रति रखते थे. बताया जाता है किब्रह्मलीन होने से पहले बाबा ने सिद्धि मां के लिए एक पंक्ति लिखी लिखी थी और वह थी, ‘मां, जहां भी तू रहेगी, वहीं मंगल हो जाएगा.’

मिली जानकारी के अनुसार, सिद्धि मां का जन्म अल्मोड़ा में हुआ था. उनकी 7 बहनें थीं. नैनीताल निवासी तुलाराम साह से उनका विवाह हुआ था. उनके पति नीम करौली बाबा के परम भक्त थे. जिसके बाद वह भी बाबा की भक्त बन गईं. पति के निधन के बाद बाबा की सेवा के लिए उन्होंने घर त्याग दिया था. उनके दो बेटे और एक बेटी है.

कैंची धाम के सेवक शेखर कांडपाल ने बताया कि 1940 के आसपास नैनीताल में पहली बार नीम करौली महाराज का आगमन हुआ था. तब वह सिद्धि मां को कात्यायनी देवी कहकर बुलाते थे.बाबा के भक्तों का मानना है कि 1973 में ब्रह्मलीन होने से पहले नीम करौली महाराज ने अपनी सारी अलौकिक शक्तियों को सिद्धि मां को सौंप दिया था.बाबा की शिष्या व उत्तराधिकारी रहीं सिद्धि मां हर सप्ताह शनिवार और मंगलवार को कैंची धाम में भक्तों को दर्शन देती थीं. कहा जाता था कि उनके दर्शन मात्र से भक्तों की सभी परेशानियां दूर हो जाती थीं.

सिद्धि मां नीम करौली बाबा के देहत्याग के बाद भी अक्सर कहा करती थी कि महाराज जी अब भी हमारे बीच ही मौजूद हैं. उत्तर प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री जितिन प्रसाद की बुआ जया प्रसाद द्वारा लिखी गई किताब ‘श्री सिद्धि मां: द स्टोरी ऑफ नीम करौली बाबा स्पिरिचुअल लीगेसी’में भी इस बात का जिक्र किया गया है. उन्होंने ही 1980 में ऋषिकेश में आश्रम बनवाया था.

Gunjan Mehra