नैनीताल : आशा कार्यकत्रियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर किया  प्रदर्शन

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नैनीताल। उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के बैनर
तले आशा कार्यकत्रियों ने हमें सरकारी कर्मी घोषित करने समेत विभिन्न
मांगों को लेकर शुक्रवार को नैनीताल में जोरदार प्रदर्शन किया। इस दौरान
जहां उन्होंने तल्लीताल गांधी चौक प्रांगण में हंगामी सभा की फिर
नारेबाजी के साथ नगर में जुलूस निकालते हुए कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची जहां
पर उप जिलाधिकारी के माध्यम से पीएम को संबोधित ज्ञापन सौपा।
इससे पूर्व सभी आशा वर्कर्स उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन की
प्रदेश अध्यक्ष कमला कुंजवाल के नेतृत्व में तल्लीताल गांधी चौक में
एकत्र हुई। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि देश भर में व
उत्तराखण्ड राज्य के ग्रामीण एवं शहरी स्वास्थ्य सेवा की बुनियाद के रूप
में आशा वर्कर्स सेवा देती आ रही हैं। आशाओं की सेवाओं का ही प्रतिफ ल है
कि सरकारी संस्थागत प्रसव और जन्म-मृत्यु की दर में उल्लेखनीय स्तर तक
उपलब्धि हासिल हुई है। मातृ शिशु मृत्यु दर में भी राष्ट्रीय स्तर पर
प्रसंशनीय कमी के अलावा कई उपलब्धियां हासिल हुई हैं। इतना ही नहीं प्रसव
पूर्व तथा प्रसवोत्तर सहित अन्य टीकाकरण कार्य भी नियमित संचालित किया जा
रहा है। इसके साथ ही समय समय पर सरकार द्वारा सौंपे गए अन्य कार्य भी
आशाओं द्वारा काफी परिश्रम के साथ सम्पन्न किये जाते हैं। यह भी
सर्वविदित है कि कोरोना महामारी के दरम्यान भी महामारी संबंधी विभिन्न
निरोधात्मक कार्यक्रम को भी आशाओं ने अपनी जान जोखिम में डाल कर पूरी
मुस्तैदी व लगन के साथ पूरा किया। जिस क्रम में कई आशाओं को अपनी जान भी
गंवानी पड़ी साथ ही बीते कई वर्षों में काम का अतिरिक्त बोझ इतना बढ़ा
दिया गया है जिस कारण आशा वर्कर्स के काम के समय का दायरा बढक़र 24 घण्टा
व 7 दिनों का हो गया है। बावजूद इसके आशा कर्मियों के मेहनताना व सेवा
शर्त में कोई भी वृद्धि सरकार के एक दशक के कार्यकाल में नहीं हुई है और
राज्य व देश भर की करीब 10 लाख से अधिक आशा वर्कर्स एक अमानवीय हालात में
कार्य करने को अभिशप्त है।
इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की कि वह आशा
वर्कर्स को नियमित मासिक वेतन, सरकारी कर्मचारी का दर्जा व सेवानिवृत्त
होने पर सभी आशाओं को अनिवार्य पेंशन का प्रावधान करे,सेवानिवृत्त होने
वाली आशा वर्कर्स को जब तक पेंशन योजना का लाभ नहीं दिया जाता तब तक
रिटायरमेंट के समय एकमुश्त 10 लाख का भुगतान किया जाय, आशाओं को विभिन्न
मदों के लिए दिए जाने वाले पैसे कई कई महीनों तक लटकाने के स्थान पर
अनिवार्य रूप से हर महीने दिया जाय। पल्स पोलियो अभियान जब से शुरू हुआ
है तब से आशाओं को इस अभियान में हफ्ते भर रोज दिन की ड्यूटी करनी होती
है और तभी से मात्र सौ रुपए का भुगतान किया जा रहा है जबकि महंगाई को
देखते हुए कम से कम दैनिक दिहाड़ी रोज की दर से भुगतान किया जाना चाहिए।
इसी तरह ट्रेनिंग में भी सौ रुपए दिया जा रहा है उसको भी दे दैनिक
दिहाड़ी की दर से दिया जाना चाहिए।
इस दौरान आशा वर्कर्स ने ज्ञापन के माध्यम से
पीएम नरेंद्र मोदी से कहा कि वह जल्द से जल्द आशा वर्कर्स की मांगों को
पूरा करें। कहा कि अन्यथा की स्थिति में आशाओं को आगामी लोकसभा चुनाव-
2024 में आपकी सरकार को वोट नहीं देने की घोषणा करने को बाध्य होना
पड़ेगा।

Gunjan Mehra