एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया ने लैंगिक रूढ़िवाद पर दिशा निर्देश जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि विज्ञापनों में लैंगिक चित्रण को बढ़ावा देने पर रोक लगाई जाए। क्योंकि यह समाज के लिए हानिकारक है। अब विज्ञापनों में दिखाए जाने वाले चित्रों की एक सीमा भी तय कर दी है। मुख्य रूप से महिलाओं से संबंधित सभी मामलों में इसका पालन करना होगा। विज्ञापन देने वाली कंपनियों को यह निर्देश दिया गया है कि वे प्रगतिशील लैंगिक चित्रों को बढ़ावा देने वाली सामग्रियों को प्रोत्साहित करें।
इस दिशा-निर्देश को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बुधवार को जारी किया था। इसके अनुसार किसी भी लिंग के लिए अपमानजनक भाषा या लहजे के जरिये दूसरों पर अधिकार जमाने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही विज्ञापन लिंग के आधार पर हिंसा (शारीरिक या भावनात्मक), गैरकानूनी या असामाजिक व्यवहार को बढ़ावा नहीं दे सकते।
एएससीआई ने कहा कि भले ही यह निर्देश महिलाओं से संबंधित है, पर अन्य लिंग वालों के गलत चित्रण में भी यह लागू होगा। इसने कहा कि भाषा के उपयोग या विजुअल के मामले में यह वहां भी लागू होगा, जहां उत्पाद इससे संबंधित नहीं हैं। दिशानिर्देश में कहा गया है कि विज्ञापनों में लैंगिक आधार पर लोगों का मजाक नहीं बनाया जाना चाहिए।