उत्तराखंड : यहाँ पहली बार मिला दुर्लभ कीटभक्षी पौधा, जानिए क्या होता है कीटभक्षी पौधा

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पौधे सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देते बल्कि कीट-पतंगों से भी बचाते हैं। खास किस्म के इन पलांट्स को कीटभक्षी पौधे कहते हैं। ये दलदली जमीन या पानी के पास उगते हैं और इन्हें नाइट्रोजन की अधिक जरूरत होती है। जब इन्हें यह पोषक तत्व नहीं मिलता तो ये कीट-पतंगे को खाकर इसकी कमी को पूरा करते हैं। ये आम पौधों से थोड़ा अलग दिखते हैं। शिकार को पकड़ने में इनकी पत्तियां अहम रोल अदा करती हैं। ऐसे कीटभक्षी पौधों की विश्व में 400 प्रजातियां होती हैं।

वन अनुसंधान केंद्र की रिसर्च टीम को पश्चिमी हिमालय में पहली बार दुर्लभ कीटभक्षी पौधा युट्रीकुलेरिय फर्सिलेटा मिला है। टीम ने मामले में रिसर्च पेपर तैयार किया। रिसर्च पेपर को प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ जैपनीज बॉटनी ने भी प्रकाशित किया है। वन अनुसंधान केंद्र की गोपेशवर रेंज की टीम के जेआरएफ मनोज सिंह व रेंजर हरीश नेगी को पिछले सितंबर में चमोली जिले के मंडल वैली के करीब दो फीट की ऊंचाई पर उच्च हिमालयी क्षेत्र में एक पौधा मिला।

जेआरएफ मनोज सिंह ने बताया कि 1986 से इस पौधे को देश में कहीं भी नहीं देखा गया है। इस पौधे के फूल बरसात में ही खिलते हैं। टीम को पौधे की जानकारी जुटाने व रिसर्च पेपर तैयार करने में डॉ. एसके सिंह, सयुंक्त निदेशक बीएसआई देहरादून ने विशेष मदद की।

मुख्य वन संरक्षक, वन अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि पश्चिमी हिमालय में पहली बार कीटभक्षी पौधा युट्रीकुलेरिय फर्सिलेटा मिला है, यह पौधा दुर्लभ है। कीड़े-मकोड़ों के लार्वा खाकर यह इकोलॉजी को बैलेंस करने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाता है।

Gunjan Mehra