देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा से बर्खास्त कर्मचारियों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। नए साल के पहले दिन कर्मचारियों ने विधानसभा के बाहर अनोखे तरीके से प्रदर्शन किया। इस दौरान कर्मचारियों ने गले में फांसी का फंदा डालकर विरोध जताया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, कर्मचारियों का कहना है कि न्याय न मिला तो वे आत्मदाह करने के लिए मजबूर होंगे, जिसकी जिम्मेदारी विधानसभा अध्यक्ष एवं सरकार की होगी। शनिवार को भी कर्मचारियों ने राष्ट्रपति को सामूहिक हस्ताक्षर युक्त पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी थी। बता दें कि बीते साल अगस्त महीने में घोटाले को लेकर सियासत गरमाई। सोशल मीडिया पर बैकडोर से भर्ती पर लगे कर्मचारियों और उनकी सिफारिश करने वाले नेताओं के नाम वायरल हुए। सरकार, भाजपा और आरएसएस के नेताओं पर सवाल उठे। तत्कालीन स्पीकर व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल निशाने पर आ गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा अध्यक्ष से बैकडोर भर्ती की जांच का अनुरोध किया। तीन सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ने डीके कोटिया की अध्यक्षता में जांच कमेटी बनाई। 22 सितंबर को जांच समिति ने अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी, भर्ती में धांधली पाई। 23 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष ने 2016 से 2021 के बीच हुई 229 बैकडोर भर्तियों को रद्द करने की घोषणा की। सरकार ने बैकडोर भर्ती रद्द करने की मंजूरी दी। निकाले गए कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। एकल बैंच ने बर्खास्तगी आदेश पर स्थगानेदश दिया।
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